Romantic Hindi Poem on Old Memories - नयी महफिल, पुराना मेहमान
जिन्दगी मेरी रंग-ए-महफिल है,
शुक्रिया इस में समा जलाने के लिए।
बहुत बेजान सी ये शाम थी,
शुक्रिया इसमें रौनक लाने के लिए।
बहुत दूर तक देखा तो तनहाई थी,
तुम संग बहार ले आयी हो।
तेरी कानों की बाली पर आ रुकी है सभी की नजर,
घुंघरू की छनक हर दिल में रवानी लायी है।
आज वो भी चरचे हमारे करते हे,
जो कल तक दूरी बनाये बैठे थे।
तेरे चेहरे की चमक के सामने लगता हर कोई परछायी है,
ऊफ ये तेरा यौवन, ये जवानी की छटा,
मार ही डालेगी उसको जिसने नजर मिलायी है।
लोग कहते है शायराना आज मेरा अन्दाज हे,
पर किसी को खबर नहीं ये अलफाज तुम से ही तो चुराये है।
तुझको छू के गुजरने वाली ये सर्द हवा,
मेरे सीने में चिंगारी मुहब्बत की जगा देती है।
लगता हे, आज दिन है मुहब्बत में शहादत पाने का,
इसलिए बिन कुछ बोले ही तू इतने करीब चली आयी है।
ये तारो से सज़ा आसमां और चाँद खुद धरती पर उतर आया है।
न तो ये दिन ईद का, न आज तीज आयी है,
न जाने फिर क्यों दिंलो के दरमियान इंतजार की घड़ी आयी है।
शुक्रिया इस दिल में दस्तक देने के लिए,
तेरे आने से ही इस महफिल जान आयी है।
जिन्दगी मेरी रंग-ए-महफिल है, शुक्रिया इस में समा जलाने के लिए।
बहुत बेजान सी ये शाम थी, शुक्रिया इसमें रौनक लाने के लिए।
Related Hindi Romantic Poem on Old Memories:
No comments:
Post a Comment