बहुत मुदतों कै बाद रोशन हुआ है ये आँगन हमारा,
बहुत मुदतों कै बाद रोशन हुआ है ये आँगन हमारा,
आज बादलो से कह दो कि न ओढ़नी उढ़ाये, मुझे देखने दो मेरे प्यार को। तरसा हुँ हर पल इस एक पल कै लिए मै, ये पल जो मिला है मुझे झूमने दो,
न ये सावन कि ऋतु है न ये मौसम बसंती, न ये सावन कि ऋतु है न ये मौसम बसंती,
लोग कहते है अक्सर रात काली मै किसको कभी क्या मिला है,
पर मै प्यासा था जिसका वो मुझको इसी मै मिला है,
मै चाहता हू उसको, ये उसे क्या पता है, वो खूबसूरत है इतना उसे हर दूसरा चाहता है।
जो मोका मिले तो दिखला दूंगा उसको, जो मोका मिले तो दिखला दूँगा उसको,
कि प्यार कितना हमे हे उस से, फिर सोचता हूँ क्या मेरी म्होब्ब्त मोका परसत है?
मै प्यार करता हु यूंही करता रहूँगा, एहसास उसको भी होकर रहेगा
बहुत मुदतों कै बाद रोशन हुआ है ये आँगन हमारा, आज जी भर कै उसका दीदार कर लू।
आज जी भर कै उसका दीदार कर लू॥
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