हिन्दी कविता संग्रह on Childhood Memory (बचपन की यादें)
तितलियों के रंगीन पंखों ने हमको खींचा,
या हमारी उड़ने की चाहत ने हमको उनकी ओर खींचा.
मैं तो उड़ने लगा था, आंखों में भर कर ख्वाब ढेर सारे.
न जाने क्यों हर आसमानी चीज भाने लगी थीं,
आसमां पर सितारों से ज्यादा उड़ते बादल भाने लगे थे.
बिन बताएं खुशियां दस्तक देने लगी थी, तितलियों सी रंगीन जिंदगी हो चली थी.
न जाने क्यों जवानी की आते ही वो नजर खो चुकी थी, सब कुछ वही था पर हंसी खो चुकी थी.
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