Women Empowerment Poem on Navratri - नवरात्रि में नारी शक्ति तुम्हे प्रणाम
हे नारी,
तुम नौ दुर्गा हो।
तुम नौ रूपों की स्वामीनी हो।
आदि शक्ति हो,
अष्ट शक्ति हो।
इस दुनिया की संचालक हो।
क्यों सोचती हो कुछ मुश्किल है,
क्यो सोचती हो ये ना कर पाओगी।
किस बात से तुम यूं डरती हो,
क्यो कुंठाओ में फस बैठी हो।
तुम कर्म योगीनी,
सहनशील हो,
तुम हर संकट का हल कर सकती हो।
धैर्य तुम्हारा बङा शस्त्र है,
हर मुश्किल से तुम लङ सकती हो।
करुणा का तुम सागर हो,
हर दिल मे घर कर जाती हो।
जब होती तुम क्रोधित हो,
हर पापी में डर से कम्पन्न होती है।
विश्वास करो खुद की शक्ति पर,
हर शक्ति कि स्रौत हो तुम।
तुम अबला कैसे हो सकती हो,
जब सबको तुमनें ही संभाला है।
विश्वास करो, हर रूप में तुम,
इस दुनिया को चलाती हो।
माता, बेटी या हो पत्नी,
हर रूप मे तुम माँ दुर्गा का रूप कहलाती हो।
ये श्रृष्टी है तुम से,
प्राणदायनी ऊर्जा तुमसे,
हर जगह वास तुम्हारा मंगलकारी है।
करते हैं हम नमन तुम्हे,
तुम हर रूप मे हम सबकी पालनहारी हो।
No comments:
Post a Comment