Gopaldas Neeraj Ki Kavitayen - Karvan Guzar Gaya, Hum Toh Mast Fakir, Mera Naam Liya Jayega Aur Geet - Likhe Jo Khat Tujhe, Khilte Hai Gul Yaha
गोपाल दास नीरज को हम पद्म श्री व पद्म भूषण सम्मानित श्रेष्टतम् साहित्यकार, कवि व शिक्षक के रूप में जानते है। आपको सहित्य जगत में "नीरज" के नाम से ख्याती प्राप्त थी। यह हमारा एक छोटा सा प्रयास है कि हम आपकी कविताओं को आपने पाठको तक पहुचा सके। पहले हम कविताओं से शुरूवात करेगें, फिर नीरज जी का विस्तृत जीवन परिचय भी आप इस लेख में पढ सकते है।
इस Gopaldas Neeraj Poems collection में आप उनकी लिखी बहुचर्चित कविताएँ कारवां गुज़र गया, हम तो मस्त फकीर व मेरा नाम लिया जायेगा पढ सकते है। साथ ही साथ उनके लिखे सदाबहार गानो में से एक, लिखे जो खत तुझे व खिलते हैं गुल यहाँ की Lyrics भी आप पढ सकते है।
Gopal Das Neeraj Poems - Karvan Guzar Gaya (कारवां गुज़र गया)
स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से,लुट गये सिंगार सभी बाग़ के बबूल से,
और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे
कारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे।
नींद भी खुली न थी कि हाय धूप ढल गई,
पाँव जब तलक उठे कि ज़िन्दगी फिसल गई,
पात-पात झर गये कि शाख़-शाख़ जल गई,
चाह तो निकल सकी न, पर उमर निकल गई,
गीत अश्क़ बन गए, छंद हो दफ़न गए,
साथ के सभी दिऐ धुआँ-धुआँ पहन गये,
और हम झुके-झुके, मोड़ पर रुके-रुके
उम्र के चढ़ाव का उतार देखते रहे
कारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे।
क्या शबाब था कि फूल-फूल प्यार कर उठा,
क्या सुरूप था कि देख आइना मचल उठा
इस तरफ जमीन और आसमां उधर उठा,
थाम कर जिगर उठा कि जो मिला नज़र उठा,
एक दिन मगर यहाँ, ऐसी कुछ हवा चली,
लुट गयी कली-कली कि घुट गयी गली-गली,
और हम लुटे-लुटे, वक्त से पिटे-पिटे,
साँस की शराब का खुमार देखते रहे
कारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे।
हाथ थे मिले कि जुल्फ चाँद की सँवार दूँ,
होंठ थे खुले कि हर बहार को पुकार दूँ,
दर्द था दिया गया कि हर दुखी को प्यार दूँ,
और साँस यूँ कि स्वर्ग भूमी पर उतार दूँ,
हो सका न कुछ मगर, शाम बन गई सहर,
वह उठी लहर कि दह गये किले बिखर-बिखर,
और हम डरे-डरे, नीर नयन में भरे,
ओढ़कर कफ़न, पड़े मज़ार देखते रहे
कारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे।
माँग भर चली कि एक, जब नई-नई किरन,
ढोलकें धुमुक उठीं, ठुमक उठे चरण-चरण,
शोर मच गया कि लो चली दुल्हन, चली दुल्हन,
गाँव सब उमड़ पड़ा, बहक उठे नयन-नयन,
पर तभी ज़हर भरी, ग़ाज एक वह गिरी,
पुंछ गया सिंदूर तार-तार हुई चूनरी,
और हम अजान से, दूर के मकान से,
पालकी लिये हुए कहार देखते रहे।
कारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे।
Hindi Kavita Written by Famous Hindi Poet- Gopal Das Neeraj ( 4 Jan 1924 - 19 Jul 2018)
Gopal Das Neeraj Poems - Hum Toh Mast Fakir (हम तो मस्त फकीर)
जैसा अपना आना प्यारे, वैसा अपना जाना रे।
रामघाट पर सुबह गुजारी, प्रेमघाट पर रात कटी
बिना छावनी बिना छपरिया, अपनी हर बरसात कटी
देखे कितने महल दुमहले, उनमें ठहरा तो समझा
कोई घर हो, भीतर से तो हर घर है वीराना रे।
औरों का धन सोना चांदी, अपना धन तो प्यार रहा
दिल से जो दिल का होता है, वो अपना व्यापार रहा
हानि लाभ की वो सोचें, जिनकी मंजिल धन दौलत हो
हमें सुबह की ओस सरीखा लगा नफ़ा-नुकसाना रे।
कांटे फूल मिले जितने भी, स्वीकारे पूरे मन से
मान और अपमान हमें सब, दौर लगे पागलपन के
कौन गरीबा कौन अमीरा हमने सोचा नहीं कभी
सबका एक ठिकान लेकिन अलग अलग है जाना रे।
सबसे पीछे रहकर भी हम, सबसे आगे रहे सदा
बड़े बड़े आघात समय के, बड़े मजे से सहे सदा
दुनियाँ की चालों से बिल्कुल, उलटी अपनी चाल रही
जो सबका सिरहाना है रे! वो अपना पैताना रे!
Hindi Kavita Written by Famous Hindi Poet- Gopal Das Neeraj ( 4 Jan 1924 - 19 Jul 2018)
Gopal Das Neeraj Poems - Mera Naam Liya Jayega (मेरा नाम लिया जाएगा)
जहाँ प्रेम का चर्चा होगा, मेरा नाम लिया जाएगा।
मान-पत्र मैं नहीं लिख सका, राजभवन के सम्मानों का
मैं तो आशिक़ रहा जन्म से, सुंदरता के दीवानों का
लेकिन था मालूम नहीं ये, केवल इस ग़लती के कारण
सारी उम्र भटकने वाला, मुझको शाप दिया जाएगा।
खिलने को तैयार नहीं थी, तुलसी भी जिनके आँगन में
मैंने भर-भर दिए सितारे, उनके मटमैले दामन में
पीड़ा के संग रास रचाया, आँख भरी तो झूम के गाया
जैसे मैं जी लिया किसी से, क्या इस तरह जिया जाएगा।
काजल और कटाक्षों पर तो, रीझ रही थी दुनिया सारी
मैंने किंतु बरसने वाली, आँखों की आरती उतारी
रंग उड़ गए सब सतरंगी, तार-तार हर साँस हो गई
फटा हुआ यह कुर्ता अब तो, ज़्यादा नहीं सिया जाएगा।
जब भी कोई सपना टूटा, मेरी आँख वहाँ बरसी है
तड़पा हूँ मैं जब भी कोई, मछली पानी को तरसी है
गीत दर्द का पहला बेटा, दुख है उसका खेल-खिलौना
कविता तब मीरा होगी जब, हँसकर ज़हर पिया जाएगा।
Hindi Kavita Written by Famous Hindi Poet- Gopal Das Neeraj ( 4 Jan 1924 - 19 Jul 2018)
Gopal Das Neeraj Hindi Film Songs - Likhe Jo Khat Tujhe (लिखे जो ख़त तुझे)
हज़ारों रंग के, नज़ारे बन गए
सवेरा जब हुआ, तो फूल बन गए
जो रात आई तो, सितारे बन गए।
कोई नगमा कहीं गूँजा, कहा दिल ने के तू आई
कहीं चटकी कली कोई, मैं ये समझा तू शरमाई
कोई ख़ुशबू कहीं बिख़री, लगा ये ज़ुल्फ़ लहराई
फ़िज़ा रंगीं अदा रंगीं, ये इठलाना ये शरमाना
ये अंगड़ाई ये तनहाई, ये तरसा कर चले जाना
बना दे ना कहीं मुझको, जवां जादू ये दीवाना
जहाँ तू है वहाँ मैं हूँ, मेरे दिल की तू धड़कन है
मुसाफ़िर मैं तू मंज़िल है, मैं प्यासा हूँ तू सावन है
मेरी दुनिया ये नज़रें हैं, मेरी जन्नत ये दामन है।
Hindi Film Song Written by - Gopal Das Neeraj ( 4 Jan 1924 - 19 Jul 2018)
Gopal Das Neeraj Hindi Film Songs - Khilte Hai Gul Yaha (खिलते हैं गुल यहाँ)
मिलते हैं दिल यहाँ, मिल के बिछड़ने को
खिलते हैं गुल यहाँ...
कल रहे ना रहे, मौसम ये प्यार का
कल रुके न रुके, डोला बहार का
चार पल मिले जो आज, प्यार में गुज़ार दे
खिलते हैं गुल यहाँ...
झीलों के होंठों पर, मेघों का राग है
फूलों के सीने में, ठंडी-ठंडी आग है
दिल के आइने में तू, ये समां उतार दे
खिलते हैं गुल यहाँ...
प्यासा है दिल सनम, प्यासी ये रात है
होंठों मे दबी-दबी, कोई मीठी बात है
इन लम्हों पे आज तू, हर खुशी निसार दे
खिलते हैं गुल यहाँ...
No comments:
Post a Comment