यह Hindi Kavita on Life of Child Labor उस बच्चे के जीवन को बँया करती है, जिसको पढनें व खेलनें की उम्र में बाल मजदूरी पर लगना पड़ जाता है। बाल मजदूरी को बहुत करीब से महसूस करके यहाँ पंक्तियाँ लिखी गई हैं, जो आप सभी ऐसे बच्चों की मदद करने के लिए प्रेरित करेगी।
Hindi Kavita on Life of Child Labor
कविता का शीर्षक- जब कभी मैं सोचता हूँ
अकल कुछ ही तो आयी थी,
समझ अब भी ना आयी थी,
मैं जाता था काम करने क्यों,
जब उम्र थी पढाई की।
घर में माँ-बाबा भी रहते थे,
कहने को मैं सबसे छोटा था,
ये ऐसी कैसी बस्ती थी,
जहाँ बचपन नहीं आता था।
काम करना और घर आना,
ये भी कहाँ नसीब होता,
न जाने कब नशे से दोस्ती कर ली,
न जाने कब जिंदगी से दुश्मनी कर ली।
मैं नहीं चाहता था ये सब कुछ हो,
पर मेरी कौन सुनता था,
करता तो मेहनत था,
पर क्या ये मेरी उम्र थी काम करने की?
न किसी से बालपन रूठे,
न किसी से शिक्षा का अधिकार छूटे,
ऐसा हर कोई कहता है,
पर क्या ये सच में होता है?
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sir kya yeh kavita mai use kar sakta hu........acchi lagi
ReplyDeleteHi, where you want to use this poem.
DeleteInspirational hindipoem for competition plz ..class 4th
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